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राष्ट्र हिंदू धर्म में श्री गणेश के अवतार By वनिता कासनियां पंजाब श्रीगणेश के अवतारहम सबने भगवान विष्णु के दशावतार और भगवान शंकर के १९ अवतारों के विषय में सुना है। किन्तु क्या आपको श्रीगणेश के अवतारों के विषय में पता है? वैसे तो श्रीगणेश के कई रूप और अवतार हैं किन्तु उनमें से आठ अवतार जिसे "अष्टरूप" कहते हैं, वो अधिक प्रसिद्ध हैं। इन आठ अवतारों की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इन्ही सभी अवतारों में श्रीगणेश ने अपने शत्रुओं का वध नहीं किया बल्कि उनके प्रताप से वे सभी स्वतः उनके भक्त हो गए। आइये उसके विषय में कुछ जानते हैं।वक्रतुंड: मत्स्यरासुर नामक एक राक्षस था जो महादेव का बड़ा भक्त था। उसने भगवान शंकर की तपस्या कर ये वरदान प्राप्त किया कि उसे किसी का भय ना हो। वरदान पाने के बाद मत्सरासुर ने देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र थे - सुंदरप्रिय और विषयप्रिय जो अपने पिता के समान ही अत्याचारी थे। उनके अत्याचार से तंग आकर सभी देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिवजी ने उन्हें श्रीगणेश का आह्वान करने को कहा। देवताओं की आराधना पर श्रीगणेश ने विकट सूंड वाले "वक्रतुंड" अवतार लिया और मत्सरासुर को ललकारा। अपने पिता की रक्षा के लिए सुंदरप्रिय और विषप्रिय दोनों ने उनपर आक्रमण किया किन्तु श्रीगणेश ने उन्हें तत्काल अपनी सूंड में लपेट कर मार डाला। ये देख कर मत्सरासुर ने अपनी पराजय स्वीकार की और श्रीगणेश का भक्त बन गया।एकदंत: एक बार महर्षि च्यवन को एक पुत्र की इच्छा हुई तो उन्होंने अपने तपोबल से मद नाम के राक्षस की रचना की। वह च्यवन का पुत्र कहलाया। मद ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और हर प्रकार की विद्या और युद्धकला में निपुण बन गया। अपनी सिद्धियों के बल पर उसने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया और सभी देवता उससे प्रताडि़त रहने लगे। सभी देवों ने एक स्वर में श्रीगणेश को पुकारा। इनकी रक्षा के लिए तब वे "एकदंत" के रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं और एक दांत था। वे चतुर्भुज रूप में थे जिनके हाथ में पाश, परशु, अंकुश और कमल था। एकदंत ने देवताओं को अभय का वरदान दिया और मदासुर को युद्ध में पराजित किया।महोदर: जब कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को देवताओं के विरुद्ध खड़ा किया। वे अनेक अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञाता था और उसका शरीर बहुत विशाल था। उसकी शक्ति की भी कोई सीमा नहीं थी। जब उस विकट रूप में मोहासुर देवताओं के सामने पहुंचा तो वे भयभीत हो गए। तब देवताओं की रक्षा के लिए श्रीगणेश ने "महोदर" अवतार लिया। उस रूप में उनका उदर अर्थात पेट इतना बड़ा था कि उसने आकाश को आच्छादित कर दिया। जब वे मोहासुर के समक्ष पहुंचे तो उनका वो अद्भुत रूप देख कर मोहासुर ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद उसने देव महोदर को ही अपना इष्ट बना लिया।विकट: जालंधर और वृंदा की कथा तो हम सभी जानते हैं। जब श्रीहरि ने जालंधर के विनाश हेतु उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया तो महादेव ने जालंधर का वध कर दिया। तत्पश्चात वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उन्ही के क्रोध से कामासुर का एक महापराक्रमी दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने महादेव से कई अवतार प्राप्त कर त्रिलोक पर अधिकार जमा लिया। त्रिलोक को त्रस्त जान कर श्रीगणेश ने "विकट" रूप में अवतार लिया और अपने उस अवतार में उन्होंने अपने बड़े भाई कार्तिकेय के मयूर को अपना वाहन बनाया। उसके बाद उन्होंने कामासुर को घोर युद्ध कर उसे पराजित किया और देवताओं को निष्कंटक किया। बाद में कामासुर श्रीगणेश का भक्त बन गया। गजानन: एक बार धनपति कुबेर को अपने धन पर अहंकार और लोभ हो गया। उनके लोभ से लोभासुर नाम के असुर का जन्म हुआ। मार्गदर्शन के लिए वो शुक्राचार्य की शरण में गया। शुक्राचार्य ने उसे महादेव की तपस्या करने का आदेश दिया। उसने भोलेनाथ की घोर तपस्या की जिसके बाद महादेव ने उसे त्रिलोक विजय का वरदान दे दिया। उस वरदान के मद में लोभासुर स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल का अधिपति हो गया। सारे देवता स्वर्ग से हाथ धोकर अपने गुरु बृहस्पति के पास गए। देवगुरु ने उन्हें श्रीगणेश की तपस्या करने को कहा। देवराज इंद्र के साथ सभी देवों ने श्रीगणेश की तपस्या की जिससे श्रीगणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिया कि वे अवश्य उनका उद्धार करेंगे। गणेशजी "गजानन" रूप में पृथ्वी पर आये और अपने मूषक द्वारा लोभासुर को युद्ध का सन्देश भेजा। जब शुक्राचार्य ने जाना कि गजानन स्वयं आये हैं तो लोभासुर की पराजय निश्चित जान कर उन्होंने उसे श्रीगणेश की शरण में जाने का उपदेश दिया। अपनी गुरु की बात सुनकर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली और उनका भक्त बन गया।लंबोदर: क्रोधासुर नाम नाम का एक दैत्य था जो अजेय बनना चाहता था। उसने इसी इच्छा से भगवान सूर्यनारायण की तपस्या की और उनसे ब्रह्माण्ड विजय का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करने के बाद क्रोधासुर विश्वविजय के अभियान पर निकला। उसे स्वर्ग की ओर आते देख इंद्र और सभी देवता भयभीत हो गए। उन्होंने श्रीगणेश से प्रार्थना की कि वो किसी भी प्रकार क्रोधासुर को स्वर्ग पहुँचने से रोकें। तब वे "लम्बोदर" का रूप लेकर क्रोधासुर के पास आये और उसे समझाया कि वो कभी भी अजेय नहीं बन सकता। इस पर क्रोधासुर उनकी बात ना मान कर स्वर्ग की ओर बढ़ने लगा। ये देख कर श्रीगणेश ने अपने उदर (पेट) द्वारा उस मार्ग को बंद कर दिया। ये देख कर क्रोधासुर दूसरे मार्ग की ओर मुड़ा। तब लम्बोदर रुपी श्रीगणेश ने अपने उदर को विस्तृत कर वो मार्ग भी रुद्ध कर दिया। क्रोधासुर जिस भी मार्ग पर जाता, श्रीगणेश अपने उदर से उस मार्ग को बंद कर देते। ये देख कर क्रोधासुर का अभिमान समाप्त हुआ और वो श्रीगणेश का भक्त बन गया। उनके आदेश पर उसने अपना युद्ध अभियान बंद कर दिया और पाताल में जाकर बस गया।विघ्नराज: एक बार माता पार्वती कैलाश पर अपनी सखियों के साथ बातचीत कर रही थी। उसी दौरान वे जोर से हंस पड़ीं। उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। चूँकि उसका जन्म माता पार्वती के ममता भाव से हुआ था इसीलिए उन्होंने उसका नाम मम रखा। बाद में मम देवी पार्वती की आज्ञा से वन में तपस्या करने चला गया। वही वो असुरराज शंबरासुर से मिला। उसे योग्य जान कर शम्बरासुर ने उसे कई प्रकार की आसुरी शक्तियां सिखा दीं। बाद में शम्बरासुर ने मम को श्री गणेश की उपासना करने को कहा। मम ने गणपति को प्रसन्न कर अपार शक्ति का स्वामी बन गया। तप पूर्ण होने के बाद शम्बरासुर ने उसका विवाह अपनी पुत्री मोहिनी के साथ कर दिया। जब दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने मम के तप के बारे में सुना तो उन्होंने उसे दैत्यराज के पद पर विभूषित कर दिया। अपने बल के मद में आकर ममासुर ने देवताओं पर आक्रमण किया और उन्हें परास्त कर कारागार में डाल दिया। तब उसी कारावास में देवताओं ने गणेश की उपासना की जिससे प्रसन्न हो श्रीगणेश "विघ्नराज" (विघ्नेश्वर) के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने ममासुर को युद्ध के लिए ललकारा और उसे परास्त कर उसका मान मर्दन किया। अंततः ममासुर उनकी शरण में आ गया। तत्पश्चात उन्होंने देवताओं को मुक्त कर उनके विघ्न का नाश किया। धूम्रवर्ण: एक बार भगवान सूर्यनारायण को छींक आ गई और उनकी छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई। उस दैत्य का नाम उन्होंने अहम रखा। उसने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और अहंतासुर नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाद में उसने अपना स्वयं का राज्य बसाया और तप कर श्रीगणेश को प्रसन्न किया। उनसे उसे अनेकानेक वरदान प्राप्त हुए। वरदान प्राप्त कर वो निरंकुश हो गया और बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया। तब उसे रोकने के लिए श्री गणेश ने धुंए के रंग वाले रूप में अवतार लिया और उसी कारण उनका नाम "धूम्रवर्ण" पड़ा। उनके हाथ में एक दुर्जय पाश था जिससे सदैव ज्वालाएं निकलती रहती थीं। धूम्रवर्ण के रुप में गणेश जी ने अहंतासुर को उस पाश से जकड लिया। अहम् ने उस पाश से छूटने का बड़ा प्रयास किया किन्तु सफल नहीं हुआ। अंत में उसने अपनी पराजय स्वीकार कर ली और देव धूम्रवर्ण की शरण में आ गया। तब उन्होंने अहंतासुर को अपनी अनंत भक्ति प्रदान की।

राष्ट्र हिंदू धर्म में श्रीगणेश के अवतार

श्रीगणेश के अवतार
हम सबने भगवान विष्णु के दशावतार और भगवान शंकर के १९ अवतारों के विषय में सुना है। किन्तु क्या आपको श्रीगणेश के अवतारों के विषय में पता है? वैसे तो श्रीगणेश के कई रूप और अवतार हैं किन्तु उनमें से आठ अवतार जिसे "अष्टरूप" कहते हैं, वो अधिक प्रसिद्ध हैं। इन आठ अवतारों की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इन्ही सभी अवतारों में श्रीगणेश ने अपने शत्रुओं का वध नहीं किया बल्कि उनके प्रताप से वे सभी स्वतः उनके भक्त हो गए। आइये उसके विषय में कुछ जानते हैं।
  1. वक्रतुंड: मत्स्यरासुर नामक एक राक्षस था जो महादेव का बड़ा भक्त था। उसने भगवान शंकर की तपस्या कर ये वरदान प्राप्त किया कि उसे किसी का भय ना हो। वरदान पाने के बाद मत्सरासुर ने देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र थे - सुंदरप्रिय और विषयप्रिय जो अपने पिता के समान ही अत्याचारी थे। उनके अत्याचार से तंग आकर सभी देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिवजी ने उन्हें श्रीगणेश का आह्वान करने को कहा। देवताओं की आराधना पर श्रीगणेश ने विकट सूंड वाले "वक्रतुंड" अवतार लिया और मत्सरासुर को ललकारा। अपने पिता की रक्षा के लिए सुंदरप्रिय और विषप्रिय दोनों ने उनपर आक्रमण किया किन्तु श्रीगणेश ने उन्हें तत्काल अपनी सूंड में लपेट कर मार डाला। ये देख कर मत्सरासुर ने अपनी पराजय स्वीकार की और श्रीगणेश का भक्त बन गया।
  2. एकदंत: एक बार महर्षि च्यवन को एक पुत्र की इच्छा हुई तो उन्होंने अपने तपोबल से मद नाम के राक्षस की रचना की। वह च्यवन का पुत्र कहलाया। मद ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और हर प्रकार की विद्या और युद्धकला में निपुण बन गया। अपनी सिद्धियों के बल पर उसने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया और सभी देवता उससे प्रताडि़त रहने लगे। सभी देवों ने एक स्वर में श्रीगणेश को पुकारा। इनकी रक्षा के लिए तब वे "एकदंत" के रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं और एक दांत था। वे चतुर्भुज रूप में थे जिनके हाथ में पाश, परशु, अंकुश और कमल था। एकदंत ने देवताओं को अभय का वरदान दिया और मदासुर को युद्ध में पराजित किया।
  3. महोदर: जब कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को देवताओं के विरुद्ध खड़ा किया। वे अनेक अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञाता था और उसका शरीर बहुत विशाल था। उसकी शक्ति की भी कोई सीमा नहीं थी। जब उस विकट रूप में मोहासुर देवताओं के सामने पहुंचा तो वे भयभीत हो गए। तब देवताओं की रक्षा के लिए श्रीगणेश ने "महोदर" अवतार लिया। उस रूप में उनका उदर अर्थात पेट इतना बड़ा था कि उसने आकाश को आच्छादित कर दिया। जब वे मोहासुर के समक्ष पहुंचे तो उनका वो अद्भुत रूप देख कर मोहासुर ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद उसने देव महोदर को ही अपना इष्ट बना लिया।
  4. विकट: जालंधर और वृंदा की कथा तो हम सभी जानते हैं। जब श्रीहरि ने जालंधर के विनाश हेतु उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया तो महादेव ने जालंधर का वध कर दिया। तत्पश्चात वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उन्ही के क्रोध से कामासुर का एक महापराक्रमी दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने महादेव से कई अवतार प्राप्त कर त्रिलोक पर अधिकार जमा लिया। त्रिलोक को त्रस्त जान कर श्रीगणेश ने "विकट" रूप में अवतार लिया और अपने उस अवतार में उन्होंने अपने बड़े भाई कार्तिकेय के मयूर को अपना वाहन बनाया। उसके बाद उन्होंने कामासुर को घोर युद्ध कर उसे पराजित किया और देवताओं को निष्कंटक किया। बाद में कामासुर श्रीगणेश का भक्त बन गया। 
  5. गजानन: एक बार धनपति कुबेर को अपने धन पर अहंकार और लोभ हो गया। उनके लोभ से लोभासुर नाम के असुर का जन्म हुआ। मार्गदर्शन के लिए वो शुक्राचार्य की शरण में गया। शुक्राचार्य ने उसे महादेव की तपस्या करने का आदेश दिया। उसने भोलेनाथ की घोर तपस्या की जिसके बाद महादेव ने उसे त्रिलोक विजय का वरदान दे दिया। उस वरदान के मद में लोभासुर स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल का अधिपति हो गया। सारे देवता स्वर्ग से हाथ धोकर अपने गुरु बृहस्पति के पास गए। देवगुरु ने उन्हें श्रीगणेश की तपस्या करने को कहा। देवराज इंद्र के साथ सभी देवों ने श्रीगणेश की तपस्या की जिससे श्रीगणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिया कि वे अवश्य उनका उद्धार करेंगे। गणेशजी "गजानन" रूप में पृथ्वी पर आये और अपने मूषक द्वारा लोभासुर को युद्ध का सन्देश भेजा। जब शुक्राचार्य ने जाना कि गजानन स्वयं आये हैं तो लोभासुर की पराजय निश्चित जान कर उन्होंने उसे श्रीगणेश की शरण में जाने का उपदेश दिया। अपनी गुरु की बात सुनकर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली और उनका भक्त बन गया।
  6. लंबोदर: क्रोधासुर नाम नाम का एक दैत्य था जो अजेय बनना चाहता था। उसने इसी इच्छा से भगवान सूर्यनारायण की तपस्या की और उनसे ब्रह्माण्ड विजय का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करने के बाद क्रोधासुर विश्वविजय के अभियान पर निकला। उसे स्वर्ग की ओर आते देख इंद्र और सभी देवता भयभीत हो गए। उन्होंने श्रीगणेश से प्रार्थना की कि वो किसी भी प्रकार क्रोधासुर को स्वर्ग पहुँचने से रोकें। तब वे "लम्बोदर" का रूप लेकर क्रोधासुर के पास आये और उसे समझाया कि वो कभी भी अजेय नहीं बन सकता। इस पर क्रोधासुर उनकी बात ना मान कर स्वर्ग की ओर बढ़ने लगा। ये देख कर श्रीगणेश ने अपने उदर (पेट) द्वारा उस मार्ग को बंद कर दिया। ये देख कर क्रोधासुर दूसरे मार्ग की ओर मुड़ा। तब लम्बोदर रुपी श्रीगणेश ने अपने उदर को विस्तृत कर वो मार्ग भी रुद्ध कर दिया। क्रोधासुर जिस भी मार्ग पर जाता, श्रीगणेश अपने उदर से उस मार्ग को बंद कर देते। ये देख कर क्रोधासुर का अभिमान समाप्त हुआ और वो श्रीगणेश का भक्त बन गया। उनके आदेश पर उसने अपना युद्ध अभियान बंद कर दिया और पाताल में जाकर बस गया।
  7. विघ्नराज: एक बार माता पार्वती कैलाश पर अपनी सखियों के साथ बातचीत कर रही थी। उसी दौरान वे जोर से हंस पड़ीं। उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। चूँकि उसका जन्म माता पार्वती के ममता भाव से हुआ था इसीलिए उन्होंने उसका नाम मम रखा। बाद में मम देवी पार्वती की आज्ञा से वन में तपस्या करने चला गया। वही वो असुरराज शंबरासुर से मिला। उसे योग्य जान कर शम्बरासुर ने उसे कई प्रकार की आसुरी शक्तियां सिखा दीं। बाद में शम्बरासुर ने मम को श्री गणेश की उपासना करने को कहा। मम ने गणपति को प्रसन्न कर अपार शक्ति का स्वामी बन गया। तप पूर्ण होने के बाद शम्बरासुर ने उसका विवाह अपनी पुत्री मोहिनी के साथ कर दिया। जब दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने मम के तप के बारे में सुना तो उन्होंने उसे दैत्यराज के पद पर विभूषित कर दिया। अपने बल के मद में आकर ममासुर ने देवताओं पर आक्रमण किया और उन्हें परास्त कर कारागार में डाल दिया। तब उसी कारावास में देवताओं ने गणेश की उपासना की जिससे प्रसन्न हो श्रीगणेश "विघ्नराज" (विघ्नेश्वर) के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने ममासुर को युद्ध के लिए ललकारा और उसे परास्त कर उसका मान मर्दन किया। अंततः ममासुर उनकी शरण में आ गया। तत्पश्चात उन्होंने देवताओं को मुक्त कर उनके विघ्न का नाश किया। 
  8. धूम्रवर्ण: एक बार भगवान सूर्यनारायण को छींक आ गई और उनकी छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई। उस दैत्य का नाम उन्होंने अहम रखा। उसने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और अहंतासुर नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाद में उसने अपना स्वयं का राज्य बसाया और तप कर श्रीगणेश को प्रसन्न किया। उनसे उसे अनेकानेक वरदान प्राप्त हुए। वरदान प्राप्त कर वो निरंकुश हो गया और बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया। तब उसे रोकने के लिए श्री गणेश ने धुंए के रंग वाले रूप में अवतार लिया और उसी कारण उनका नाम "धूम्रवर्ण" पड़ा। उनके हाथ में एक दुर्जय पाश था जिससे सदैव ज्वालाएं निकलती रहती थीं। धूम्रवर्ण के रुप में गणेश जी ने अहंतासुर को उस पाश से जकड लिया। अहम् ने उस पाश से छूटने का बड़ा प्रयास किया किन्तु सफल नहीं हुआ। अंत में उसने अपनी पराजय स्वीकार कर ली और देव धूम्रवर्ण की शरण में आ गया। तब उन्होंने अहंतासुर को अपनी अनंत भक्ति प्रदान की।

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  पीपल के अलावा कौन-कौन से वृक्ष रात को ऑक्सीजन छोड़ते हैं? By वनिता कासनियां से ऑक्सीजन हमारे लिए बहुत जरूरी है, स्वच्छ वातावरण के लिए अक्सर लोग घर के आंगन नें पेड़ पौधे लगाते हैं। हम लोग यह जानते हैं कि दिन में इनकेे आसपास रहना अच्छा होते है क्योंकि यह ऑक्सीजन छोड़ते और इंसानों के द्वारा छोडी गई कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करते हैं। जिससे हम आसानी से सांस ले पाते हैं लेकिन रात को यही पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। रात को भी घर के आसपास वातावरण को शुद्ध रखना चाहते हैं तो ऐसे पौधे लगा सकते है जो रात के समय भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं। (चलिए हम इन्हें बिस्तर से जान लेते हैं।) ये 8 पौधों जो रात को भी देते हैं ऑक्सीजन:- 1. Elovera:- ब्यूटी और सेहत के साथ-साथ एलोवीरा वातावरण को भी शुद्ध रखता है। यह रात के समय ऑक्सीजन छोड़ता है। 2. Snake Plant:- यह पौधा गॉर्डन की खूबसूरती को बढाता है। ये हवा को शुद्ध रखने का काम करता है। 3. Neem Tree:- यह स्वाद में चाहे कड़वा होता है लेकिन कीडे-मकौडों को दूर करने का भी काम करता है। इससे वातावरण शुद्ध रहता है। 4. Tulsi:- तुलसी बहुत अच्छ...

स्वास्थ्य घरेलू नुस्खेक्या पेनिस कैंसर भी होता है?हाँ ।लिंग कैंसर के लक्षणनीचे दिए गए संकेत और लक्षण हमेशा मतलब नहीं है कि एक आदमी को शिश्न कैंसर है। वास्तव में, कई अन्य स्थितियों के कारण होने की संभावना है। फिर भी, यदि आपके पास उनमें से कोई भी है, तो तुरंत एक डॉक्टर को देखें ताकि जरूरत पड़ने पर उनका कारण खोजा जा सके और इलाज किया जा सके। जितनी जल्दी एक निदान किया जाता है, उतनी ही जल्दी आप उपचार शुरू कर सकते हैं और बेहतर यह काम करने की संभावना है।त्वचा में बदलावशिश्न कैंसर का पहला संकेत सबसे अधिक बार लिंग की त्वचा में बदलाव होता है। यह सबसे अधिक संभावना है कि लिंग के अग्र भाग (नोक) पर या अग्रभाग (अनियंत्रित पुरुषों में) होता है, लेकिन यह शाफ्ट पर भी हो सकता है। इन परिवर्तनों में शामिल हो सकते हैं:त्वचा का एक क्षेत्र मोटा होनात्वचा के रंग में परिवर्तनएक गांठएक अल्सर (घाव) जो खून बह सकता हैचमड़ी के नीचे एक लाल, मखमली दानेछोटे, crusty धक्कोंसपाट, नीले-भूरे रंग के विकासचमड़ी के नीचे बदबूदार स्त्राव (द्रव) या रक्तस्रावपेनिल कैंसर से घाव या गांठ आमतौर पर चोट नहीं करते हैं, लेकिन वे हो सकते हैं। आपको एक डॉक्टर को देखना चाहिए कि क्या आपको अपने लिंग पर किसी प्रकार की नई वृद्धि या अन्य असामान्यता मिलती है, भले ही यह दर्दनाक न हो। कोई भी परिवर्तन जो लगभग 4 सप्ताह में बेहतर नहीं होता है, या खराब हो जाता है, एक डॉक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए।सूजनलिंग के अंत में सूजन, खासकर जब चमड़ी संकुचित होती है, शिश्न कैंसर का एक और संभावित संकेत है। चमड़ी को वापस खींचना कठिन हो सकता है।कमर के क्षेत्र में त्वचा के नीचे गांठयदि कैंसर लिंग से फैलता है, तो यह अक्सर सबसे पहले ग्रोइन में लिम्फ नोड्स की यात्रा करता है। यह उन लिम्फ नोड्स को प्रफुल्लित कर सकता है। लिम्फ नोड्स प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं का संग्रह हैं। आम तौर पर, वे सेम-आकार के होते हैं और मुश्किल से सभी पर महसूस किए जा सकते हैं। यदि वे सूज गए हैं, तो लिम्फ नोड्स त्वचा के नीचे चिकनी गांठ की तरह महसूस कर सकते हैं।लेकिन सूजन लिम्फ नोड्स हमेशा मतलब नहीं है कि कैंसर वहाँ फैल गया है। आमतौर पर, एक संक्रमण के जवाब में लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं। शिश्न के कैंसर में और उसके आस-पास की त्वचा अक्सर संक्रमित हो सकती है, जिससे आसपास के लिम्फ नोड्स सूज सकते हैं, भले ही कैंसर उन तक नहीं पहुंचा हो।पेनाइल कैंसर के लिए टेस्टयदि आपको पेनाइल कैंसर के संभावित लक्षण हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। एक शारीरिक परीक्षा होगी और आपको यह पता लगाने के लिए कुछ परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है कि आपके लक्षण क्या हैं।मेडिकल इतिहास और शारीरिक परीक्षाडॉक्टर आपसे आपके मेडिकल इतिहास और आपके लक्षणों के विवरण के बारे में बात करेंगे, जैसे कि वे कब शुरू हुए और अगर वे बदल गए हैं। आप किसी भी संभावित जोखिम कारकों पर चर्चा करेंगे।डॉक्टर पेनाइल कैंसर या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के संभावित संकेतों के लिए आपके जननांग क्षेत्र को भी ध्यान से देखेंगे। शिश्न के घाव (घाव) आमतौर पर लिंग पर त्वचा को प्रभावित करते हैं, इसलिए एक डॉक्टर अक्सर लिंग को करीब से देखकर कैंसर और अन्य समस्याओं का पता लगा सकता है। डॉक्टर आपके ग्रोइन में लिम्फ नोड्स को देखने और महसूस करने के लिए देख सकते हैं कि क्या वे सूजे हुए हैं।यदि लक्षण और / या परीक्षा से पता चलता है कि आपको पेनाइल कैंसर हो सकता है, तो अन्य परीक्षणों की आवश्यकता होगी। इनमें बायोप्सी और इमेजिंग परीक्षण शामिल हो सकते हैं।बायोप्सीएक बायोप्सी यह जानने का एकमात्र निश्चित तरीका है कि क्या परिवर्तन शिश्न कैंसर है। ऐसा करने के लिए, ऊतक का एक छोटा सा टुकड़ा बदल क्षेत्र से लिया जाता है और एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है। वहाँ, यह देखने के लिए एक माइक्रोस्कोप के साथ देखा जाता है कि इसमें कैंसर कोशिकाएं हैं या नहीं। परिणाम आमतौर पर कुछ दिनों में उपलब्ध होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में अधिक समय लग सकता है।कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी)एक सीटी स्कैन आपके शरीर की विस्तृत क्रॉस-सेक्शनल छवियों को बनाने के लिए एक्स-रे का उपयोग करता है। यह दिखा सकता है कि ट्यूमर कितना बड़ा है और यह भी देखने में मदद कर सकता है कि कैंसर लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य भागों में फैल गया है या नहीं।सीटी-निर्देशित सुई बायोप्सी: सीटी स्कैन का उपयोग बायोप्सी सुई को एक बढ़े हुए लिम्फ नोड या अन्य क्षेत्र में कैंसर फैलाने के लिए किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए, आप सीटी टेबल पर रहते हैं, जबकि एक डॉक्टर आपकी त्वचा के माध्यम से और द्रव्यमान की ओर एक बायोप्सी सुई ले जाता है। सीटी स्कैन दोहराया जाता है जब तक सुई द्रव्यमान के अंदर नहीं होती है। एक बायोप्सी नमूना फिर निकाल दिया जाता है और एक माइक्रोस्कोप के तहत जाँच के लिए भेजा जाता है।चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI)सीटी स्कैन की तरह, एमआरआई शरीर में नरम ऊतकों की विस्तृत छवियां दिखाते हैं। लेकिन एमआरआई स्कैन एक्स-रे के बजाय रेडियो तरंगों और मजबूत मैग्नेट का उपयोग करते हैं।यदि लिंग खड़ा है तो MRI चित्र बेहतर हैं। डॉक्टर इसे बनाने के लिए लिंग में प्रोस्टाग्लैंडीन नामक हार्मोन जैसा पदार्थ इंजेक्ट कर सकते हैं।अल्ट्रासाउंडआंतरिक अंगों या द्रव्यमान के चित्र बनाने के लिए अल्ट्रासाउंड ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। यह पता लगाना उपयोगी हो सकता है कि लिंग में कैंसर कितनी गहराई से फैला है। यह ग्रोइन में बढ़े हुए लिम्फ नोड्स को खोजने में भी मदद कर सकता है।यह परीक्षण दर्द रहित होता है और आपको विकिरण के संपर्क में नहीं लाता है। अधिकांश अल्ट्रासाउंड परीक्षाओं के लिए, त्वचा को पहले जेल के साथ चिकनाई की जाती है। फिर एक तकनीशियन लिंग की त्वचा के ऊपर ट्रांसड्यूसर ले जाता है।छाती का एक्स - रेपेनाइल कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?पेनाइल कैंसर वाले अधिकांश पुरुषों के लिए सर्जरी मुख्य उपचार है, लेकिन कभी-कभी विकिरण चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है, या तो सर्जरी के अलावा या इसके अलावा। प्रारंभिक चरण के ट्यूमर के लिए अन्य स्थानीय उपचारों का भी उपयोग किया जा सकता है। कीमोथेरेपी कुछ बड़े ट्यूमर के लिए दी जा सकती है या यदि कैंसर फैल गया है।सामान्य उपचार दृष्टिकोणआपकी कैंसर देखभाल टीम का लक्ष्य आपके लिंग को कैसे दिखता है और काम करता है, इस पर उपचार के प्रभावों को सीमित करते हुए कैंसर का इलाज करना है।यदि कैंसर को ठीक नहीं किया जा सकता है, तो लक्ष्य जितना संभव हो उतना कैंसर को हटाने या नष्ट करना हो सकता है और ट्यूमर को अधिक से अधिक फैलने, फैलने या लौटने से रोक सकता है। कभी-कभी उपचार लक्षणों को दूर करने के उद्देश्य से होता है, जैसे कि दर्द या रक्तस्राव, भले ही आप ठीक न हों।पेनाइल कैंसर का इलाज कौन करता है?आपके उपचार विकल्पों के आधार पर, आपकी उपचार टीम में विभिन्न प्रकार के डॉक्टर हो सकते हैं। इन डॉक्टरों में शामिल हो सकते हैं:एक मूत्र रोग विशेषज्ञ: एक सर्जन जो पुरुष जननांगों और मूत्र पथ के रोगों में माहिर हैएक विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट: एक डॉक्टर जो कैंसर के इलाज के लिए विकिरण का उपयोग करता हैएक चिकित्सा ऑन्कोलॉजिस्ट: एक डॉक्टर जो कैंसर का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी और अन्य दवाओं का उपयोग करता हैइलाज बंद करना या बिना किसी उपचार के चुननाकुछ लोगों के लिए, जब उपचार की कोशिश की गई है और अब कैंसर को नियंत्रित नहीं कर रहे हैं, तो यह उन उपचारों को आजमाने के लिए लाभ और जोखिमों को तौलने का समय हो सकता है। आप उपचार जारी रखते हैं या नहीं, फिर भी कुछ चीजें हैं जो आप अपने जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने या बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।कुछ लोग, विशेष रूप से अगर कैंसर उन्नत है, तो शायद बिल्कुल भी इलाज न करना पड़े। ऐसे कई कारण हैं जिनसे आप कैंसर का इलाज नहीं करवा सकते, लेकिन अपने डॉक्टरों से बात करना महत्वपूर्ण है और आप यह निर्णय लेते हैं। याद रखें कि भले ही आप कैंसर का इलाज नहीं करना चाहते हैं, फिर भी आप दर्द या अन्य लक्षणों की मदद के लिए सहायक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।मैं आशा करती हूँ की आप जवाब से सहमत होंगे।

स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे क्या पेनिस कैंसर भी होता है? हाँ । लिंग कैंसर के लक्षण नीचे दिए गए संकेत और लक्षण हमेशा मतलब नहीं है कि एक आदमी को शिश्न कैंसर है। वास्तव में, कई अन्य स्थितियों के कारण होने की संभावना है। फिर भी, यदि आपके पास उनमें से कोई भी है, तो तुरंत एक डॉक्टर को देखें ताकि जरूरत पड़ने पर उनका कारण खोजा जा सके और इलाज किया जा सके। जितनी जल्दी एक निदान किया जाता है, उतनी ही जल्दी आप उपचार शुरू कर सकते हैं और बेहतर यह काम करने की संभावना है। त्वचा में बदलाव शिश्न कैंसर का पहला संकेत सबसे अधिक बार लिंग की त्वचा में बदलाव होता है। यह सबसे अधिक संभावना है कि लिंग के अग्र भाग (नोक) पर या अग्रभाग (अनियंत्रित पुरुषों में) होता है, लेकिन यह शाफ्ट पर भी हो सकता है। इन परिवर्तनों में शामिल हो सकते हैं: त्वचा का एक क्षेत्र मोटा होना त्वचा के रंग में परिवर्तन एक गांठ एक अल्सर (घाव) जो खून बह सकता है चमड़ी के नीचे एक लाल, मखमली दाने छोटे, crusty धक्कों सपाट, नीले-भूरे रंग के विकास चमड़ी के नीचे बदबूदार स्त्राव (द्रव) या रक्तस्राव पेनिल कैंसर से घाव या गांठ आमतौर पर चोट नहीं करते हैं, लेकि...

What are the early symptoms of throat cancer?By Vanitha Kasniya PunjabThroat cancer: - On hearing the name cancer, a person wakes up with shivering, cancer is a very deadly disease, and its

गले का कैंसर होने पर शुरुआती तौर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब गले का कैंसर  :- कैंसर नाम सुनते ही आदमी के शरीर मे कंपकपी से उठते है,कैंसर बहुत ही जानलेवा बीमारी है, और इसका कोई इलाज नही सिवाय मृत्यु के, ऐसे लोग समझते है ,लेकिन ये पूरा सच नही है। कैंसर किसी भी व्यक्ति को हो सकते है, इसके सुरूवात में अगर आपको लक्षण मिल जाये तो इसका इलाज कुछ हद तक संभव है, जिस भी व्यक्ति को ये हो जाता है वह जीने की उम्मीद ही छोड़ देता हैं। और कई लोग तो ऐसे समझने लगते है कि जितने दिन जी रहे है उतना दिन ही बहेतर है। इसमे हम कुछ गले का कैंसर के बारे में बता रहे हैं जिससे आप जान पाएंगे, जो निम्न है:- इस प्रकार के कैंसर अरम्भ में कोई लक्षण में सर्वाधिक रूप पाया जाता है, बाद में गले में एक विशेष प्रकार के कष्ट की अनुभूति होने लगती है। उसे गले में कांटा चुभने का सा दर्द होता है, उसके बाद ही गले में खच खच पीड़ा उत्पन्न होती है। आँख में कष्ट का बोध होता है, और धीरे-धीरे सख्त पदार्थ आना संभव हो जाता है। गले में फोड़े के समान कष्ट प्रतीत होने लगता है, निगलने में कष्ट होने लगता है गग्रसिन ...