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राष्ट्र हिंदू धर्म में श्री गणेश के अवतार By वनिता कासनियां पंजाब श्रीगणेश के अवतारहम सबने भगवान विष्णु के दशावतार और भगवान शंकर के १९ अवतारों के विषय में सुना है। किन्तु क्या आपको श्रीगणेश के अवतारों के विषय में पता है? वैसे तो श्रीगणेश के कई रूप और अवतार हैं किन्तु उनमें से आठ अवतार जिसे "अष्टरूप" कहते हैं, वो अधिक प्रसिद्ध हैं। इन आठ अवतारों की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इन्ही सभी अवतारों में श्रीगणेश ने अपने शत्रुओं का वध नहीं किया बल्कि उनके प्रताप से वे सभी स्वतः उनके भक्त हो गए। आइये उसके विषय में कुछ जानते हैं।वक्रतुंड: मत्स्यरासुर नामक एक राक्षस था जो महादेव का बड़ा भक्त था। उसने भगवान शंकर की तपस्या कर ये वरदान प्राप्त किया कि उसे किसी का भय ना हो। वरदान पाने के बाद मत्सरासुर ने देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र थे - सुंदरप्रिय और विषयप्रिय जो अपने पिता के समान ही अत्याचारी थे। उनके अत्याचार से तंग आकर सभी देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिवजी ने उन्हें श्रीगणेश का आह्वान करने को कहा। देवताओं की आराधना पर श्रीगणेश ने विकट सूंड वाले "वक्रतुंड" अवतार लिया और मत्सरासुर को ललकारा। अपने पिता की रक्षा के लिए सुंदरप्रिय और विषप्रिय दोनों ने उनपर आक्रमण किया किन्तु श्रीगणेश ने उन्हें तत्काल अपनी सूंड में लपेट कर मार डाला। ये देख कर मत्सरासुर ने अपनी पराजय स्वीकार की और श्रीगणेश का भक्त बन गया।एकदंत: एक बार महर्षि च्यवन को एक पुत्र की इच्छा हुई तो उन्होंने अपने तपोबल से मद नाम के राक्षस की रचना की। वह च्यवन का पुत्र कहलाया। मद ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और हर प्रकार की विद्या और युद्धकला में निपुण बन गया। अपनी सिद्धियों के बल पर उसने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया और सभी देवता उससे प्रताडि़त रहने लगे। सभी देवों ने एक स्वर में श्रीगणेश को पुकारा। इनकी रक्षा के लिए तब वे "एकदंत" के रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं और एक दांत था। वे चतुर्भुज रूप में थे जिनके हाथ में पाश, परशु, अंकुश और कमल था। एकदंत ने देवताओं को अभय का वरदान दिया और मदासुर को युद्ध में पराजित किया।महोदर: जब कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को देवताओं के विरुद्ध खड़ा किया। वे अनेक अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञाता था और उसका शरीर बहुत विशाल था। उसकी शक्ति की भी कोई सीमा नहीं थी। जब उस विकट रूप में मोहासुर देवताओं के सामने पहुंचा तो वे भयभीत हो गए। तब देवताओं की रक्षा के लिए श्रीगणेश ने "महोदर" अवतार लिया। उस रूप में उनका उदर अर्थात पेट इतना बड़ा था कि उसने आकाश को आच्छादित कर दिया। जब वे मोहासुर के समक्ष पहुंचे तो उनका वो अद्भुत रूप देख कर मोहासुर ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद उसने देव महोदर को ही अपना इष्ट बना लिया।विकट: जालंधर और वृंदा की कथा तो हम सभी जानते हैं। जब श्रीहरि ने जालंधर के विनाश हेतु उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया तो महादेव ने जालंधर का वध कर दिया। तत्पश्चात वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उन्ही के क्रोध से कामासुर का एक महापराक्रमी दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने महादेव से कई अवतार प्राप्त कर त्रिलोक पर अधिकार जमा लिया। त्रिलोक को त्रस्त जान कर श्रीगणेश ने "विकट" रूप में अवतार लिया और अपने उस अवतार में उन्होंने अपने बड़े भाई कार्तिकेय के मयूर को अपना वाहन बनाया। उसके बाद उन्होंने कामासुर को घोर युद्ध कर उसे पराजित किया और देवताओं को निष्कंटक किया। बाद में कामासुर श्रीगणेश का भक्त बन गया। गजानन: एक बार धनपति कुबेर को अपने धन पर अहंकार और लोभ हो गया। उनके लोभ से लोभासुर नाम के असुर का जन्म हुआ। मार्गदर्शन के लिए वो शुक्राचार्य की शरण में गया। शुक्राचार्य ने उसे महादेव की तपस्या करने का आदेश दिया। उसने भोलेनाथ की घोर तपस्या की जिसके बाद महादेव ने उसे त्रिलोक विजय का वरदान दे दिया। उस वरदान के मद में लोभासुर स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल का अधिपति हो गया। सारे देवता स्वर्ग से हाथ धोकर अपने गुरु बृहस्पति के पास गए। देवगुरु ने उन्हें श्रीगणेश की तपस्या करने को कहा। देवराज इंद्र के साथ सभी देवों ने श्रीगणेश की तपस्या की जिससे श्रीगणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिया कि वे अवश्य उनका उद्धार करेंगे। गणेशजी "गजानन" रूप में पृथ्वी पर आये और अपने मूषक द्वारा लोभासुर को युद्ध का सन्देश भेजा। जब शुक्राचार्य ने जाना कि गजानन स्वयं आये हैं तो लोभासुर की पराजय निश्चित जान कर उन्होंने उसे श्रीगणेश की शरण में जाने का उपदेश दिया। अपनी गुरु की बात सुनकर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली और उनका भक्त बन गया।लंबोदर: क्रोधासुर नाम नाम का एक दैत्य था जो अजेय बनना चाहता था। उसने इसी इच्छा से भगवान सूर्यनारायण की तपस्या की और उनसे ब्रह्माण्ड विजय का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करने के बाद क्रोधासुर विश्वविजय के अभियान पर निकला। उसे स्वर्ग की ओर आते देख इंद्र और सभी देवता भयभीत हो गए। उन्होंने श्रीगणेश से प्रार्थना की कि वो किसी भी प्रकार क्रोधासुर को स्वर्ग पहुँचने से रोकें। तब वे "लम्बोदर" का रूप लेकर क्रोधासुर के पास आये और उसे समझाया कि वो कभी भी अजेय नहीं बन सकता। इस पर क्रोधासुर उनकी बात ना मान कर स्वर्ग की ओर बढ़ने लगा। ये देख कर श्रीगणेश ने अपने उदर (पेट) द्वारा उस मार्ग को बंद कर दिया। ये देख कर क्रोधासुर दूसरे मार्ग की ओर मुड़ा। तब लम्बोदर रुपी श्रीगणेश ने अपने उदर को विस्तृत कर वो मार्ग भी रुद्ध कर दिया। क्रोधासुर जिस भी मार्ग पर जाता, श्रीगणेश अपने उदर से उस मार्ग को बंद कर देते। ये देख कर क्रोधासुर का अभिमान समाप्त हुआ और वो श्रीगणेश का भक्त बन गया। उनके आदेश पर उसने अपना युद्ध अभियान बंद कर दिया और पाताल में जाकर बस गया।विघ्नराज: एक बार माता पार्वती कैलाश पर अपनी सखियों के साथ बातचीत कर रही थी। उसी दौरान वे जोर से हंस पड़ीं। उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। चूँकि उसका जन्म माता पार्वती के ममता भाव से हुआ था इसीलिए उन्होंने उसका नाम मम रखा। बाद में मम देवी पार्वती की आज्ञा से वन में तपस्या करने चला गया। वही वो असुरराज शंबरासुर से मिला। उसे योग्य जान कर शम्बरासुर ने उसे कई प्रकार की आसुरी शक्तियां सिखा दीं। बाद में शम्बरासुर ने मम को श्री गणेश की उपासना करने को कहा। मम ने गणपति को प्रसन्न कर अपार शक्ति का स्वामी बन गया। तप पूर्ण होने के बाद शम्बरासुर ने उसका विवाह अपनी पुत्री मोहिनी के साथ कर दिया। जब दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने मम के तप के बारे में सुना तो उन्होंने उसे दैत्यराज के पद पर विभूषित कर दिया। अपने बल के मद में आकर ममासुर ने देवताओं पर आक्रमण किया और उन्हें परास्त कर कारागार में डाल दिया। तब उसी कारावास में देवताओं ने गणेश की उपासना की जिससे प्रसन्न हो श्रीगणेश "विघ्नराज" (विघ्नेश्वर) के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने ममासुर को युद्ध के लिए ललकारा और उसे परास्त कर उसका मान मर्दन किया। अंततः ममासुर उनकी शरण में आ गया। तत्पश्चात उन्होंने देवताओं को मुक्त कर उनके विघ्न का नाश किया। धूम्रवर्ण: एक बार भगवान सूर्यनारायण को छींक आ गई और उनकी छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई। उस दैत्य का नाम उन्होंने अहम रखा। उसने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और अहंतासुर नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाद में उसने अपना स्वयं का राज्य बसाया और तप कर श्रीगणेश को प्रसन्न किया। उनसे उसे अनेकानेक वरदान प्राप्त हुए। वरदान प्राप्त कर वो निरंकुश हो गया और बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया। तब उसे रोकने के लिए श्री गणेश ने धुंए के रंग वाले रूप में अवतार लिया और उसी कारण उनका नाम "धूम्रवर्ण" पड़ा। उनके हाथ में एक दुर्जय पाश था जिससे सदैव ज्वालाएं निकलती रहती थीं। धूम्रवर्ण के रुप में गणेश जी ने अहंतासुर को उस पाश से जकड लिया। अहम् ने उस पाश से छूटने का बड़ा प्रयास किया किन्तु सफल नहीं हुआ। अंत में उसने अपनी पराजय स्वीकार कर ली और देव धूम्रवर्ण की शरण में आ गया। तब उन्होंने अहंतासुर को अपनी अनंत भक्ति प्रदान की।

राष्ट्र हिंदू धर्म में श्रीगणेश के अवतार

श्रीगणेश के अवतार
हम सबने भगवान विष्णु के दशावतार और भगवान शंकर के १९ अवतारों के विषय में सुना है। किन्तु क्या आपको श्रीगणेश के अवतारों के विषय में पता है? वैसे तो श्रीगणेश के कई रूप और अवतार हैं किन्तु उनमें से आठ अवतार जिसे "अष्टरूप" कहते हैं, वो अधिक प्रसिद्ध हैं। इन आठ अवतारों की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इन्ही सभी अवतारों में श्रीगणेश ने अपने शत्रुओं का वध नहीं किया बल्कि उनके प्रताप से वे सभी स्वतः उनके भक्त हो गए। आइये उसके विषय में कुछ जानते हैं।
  1. वक्रतुंड: मत्स्यरासुर नामक एक राक्षस था जो महादेव का बड़ा भक्त था। उसने भगवान शंकर की तपस्या कर ये वरदान प्राप्त किया कि उसे किसी का भय ना हो। वरदान पाने के बाद मत्सरासुर ने देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र थे - सुंदरप्रिय और विषयप्रिय जो अपने पिता के समान ही अत्याचारी थे। उनके अत्याचार से तंग आकर सभी देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिवजी ने उन्हें श्रीगणेश का आह्वान करने को कहा। देवताओं की आराधना पर श्रीगणेश ने विकट सूंड वाले "वक्रतुंड" अवतार लिया और मत्सरासुर को ललकारा। अपने पिता की रक्षा के लिए सुंदरप्रिय और विषप्रिय दोनों ने उनपर आक्रमण किया किन्तु श्रीगणेश ने उन्हें तत्काल अपनी सूंड में लपेट कर मार डाला। ये देख कर मत्सरासुर ने अपनी पराजय स्वीकार की और श्रीगणेश का भक्त बन गया।
  2. एकदंत: एक बार महर्षि च्यवन को एक पुत्र की इच्छा हुई तो उन्होंने अपने तपोबल से मद नाम के राक्षस की रचना की। वह च्यवन का पुत्र कहलाया। मद ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और हर प्रकार की विद्या और युद्धकला में निपुण बन गया। अपनी सिद्धियों के बल पर उसने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया और सभी देवता उससे प्रताडि़त रहने लगे। सभी देवों ने एक स्वर में श्रीगणेश को पुकारा। इनकी रक्षा के लिए तब वे "एकदंत" के रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं और एक दांत था। वे चतुर्भुज रूप में थे जिनके हाथ में पाश, परशु, अंकुश और कमल था। एकदंत ने देवताओं को अभय का वरदान दिया और मदासुर को युद्ध में पराजित किया।
  3. महोदर: जब कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को देवताओं के विरुद्ध खड़ा किया। वे अनेक अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञाता था और उसका शरीर बहुत विशाल था। उसकी शक्ति की भी कोई सीमा नहीं थी। जब उस विकट रूप में मोहासुर देवताओं के सामने पहुंचा तो वे भयभीत हो गए। तब देवताओं की रक्षा के लिए श्रीगणेश ने "महोदर" अवतार लिया। उस रूप में उनका उदर अर्थात पेट इतना बड़ा था कि उसने आकाश को आच्छादित कर दिया। जब वे मोहासुर के समक्ष पहुंचे तो उनका वो अद्भुत रूप देख कर मोहासुर ने बिना युद्ध के ही आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद उसने देव महोदर को ही अपना इष्ट बना लिया।
  4. विकट: जालंधर और वृंदा की कथा तो हम सभी जानते हैं। जब श्रीहरि ने जालंधर के विनाश हेतु उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया तो महादेव ने जालंधर का वध कर दिया। तत्पश्चात वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उन्ही के क्रोध से कामासुर का एक महापराक्रमी दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने महादेव से कई अवतार प्राप्त कर त्रिलोक पर अधिकार जमा लिया। त्रिलोक को त्रस्त जान कर श्रीगणेश ने "विकट" रूप में अवतार लिया और अपने उस अवतार में उन्होंने अपने बड़े भाई कार्तिकेय के मयूर को अपना वाहन बनाया। उसके बाद उन्होंने कामासुर को घोर युद्ध कर उसे पराजित किया और देवताओं को निष्कंटक किया। बाद में कामासुर श्रीगणेश का भक्त बन गया। 
  5. गजानन: एक बार धनपति कुबेर को अपने धन पर अहंकार और लोभ हो गया। उनके लोभ से लोभासुर नाम के असुर का जन्म हुआ। मार्गदर्शन के लिए वो शुक्राचार्य की शरण में गया। शुक्राचार्य ने उसे महादेव की तपस्या करने का आदेश दिया। उसने भोलेनाथ की घोर तपस्या की जिसके बाद महादेव ने उसे त्रिलोक विजय का वरदान दे दिया। उस वरदान के मद में लोभासुर स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल का अधिपति हो गया। सारे देवता स्वर्ग से हाथ धोकर अपने गुरु बृहस्पति के पास गए। देवगुरु ने उन्हें श्रीगणेश की तपस्या करने को कहा। देवराज इंद्र के साथ सभी देवों ने श्रीगणेश की तपस्या की जिससे श्रीगणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिया कि वे अवश्य उनका उद्धार करेंगे। गणेशजी "गजानन" रूप में पृथ्वी पर आये और अपने मूषक द्वारा लोभासुर को युद्ध का सन्देश भेजा। जब शुक्राचार्य ने जाना कि गजानन स्वयं आये हैं तो लोभासुर की पराजय निश्चित जान कर उन्होंने उसे श्रीगणेश की शरण में जाने का उपदेश दिया। अपनी गुरु की बात सुनकर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली और उनका भक्त बन गया।
  6. लंबोदर: क्रोधासुर नाम नाम का एक दैत्य था जो अजेय बनना चाहता था। उसने इसी इच्छा से भगवान सूर्यनारायण की तपस्या की और उनसे ब्रह्माण्ड विजय का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करने के बाद क्रोधासुर विश्वविजय के अभियान पर निकला। उसे स्वर्ग की ओर आते देख इंद्र और सभी देवता भयभीत हो गए। उन्होंने श्रीगणेश से प्रार्थना की कि वो किसी भी प्रकार क्रोधासुर को स्वर्ग पहुँचने से रोकें। तब वे "लम्बोदर" का रूप लेकर क्रोधासुर के पास आये और उसे समझाया कि वो कभी भी अजेय नहीं बन सकता। इस पर क्रोधासुर उनकी बात ना मान कर स्वर्ग की ओर बढ़ने लगा। ये देख कर श्रीगणेश ने अपने उदर (पेट) द्वारा उस मार्ग को बंद कर दिया। ये देख कर क्रोधासुर दूसरे मार्ग की ओर मुड़ा। तब लम्बोदर रुपी श्रीगणेश ने अपने उदर को विस्तृत कर वो मार्ग भी रुद्ध कर दिया। क्रोधासुर जिस भी मार्ग पर जाता, श्रीगणेश अपने उदर से उस मार्ग को बंद कर देते। ये देख कर क्रोधासुर का अभिमान समाप्त हुआ और वो श्रीगणेश का भक्त बन गया। उनके आदेश पर उसने अपना युद्ध अभियान बंद कर दिया और पाताल में जाकर बस गया।
  7. विघ्नराज: एक बार माता पार्वती कैलाश पर अपनी सखियों के साथ बातचीत कर रही थी। उसी दौरान वे जोर से हंस पड़ीं। उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। चूँकि उसका जन्म माता पार्वती के ममता भाव से हुआ था इसीलिए उन्होंने उसका नाम मम रखा। बाद में मम देवी पार्वती की आज्ञा से वन में तपस्या करने चला गया। वही वो असुरराज शंबरासुर से मिला। उसे योग्य जान कर शम्बरासुर ने उसे कई प्रकार की आसुरी शक्तियां सिखा दीं। बाद में शम्बरासुर ने मम को श्री गणेश की उपासना करने को कहा। मम ने गणपति को प्रसन्न कर अपार शक्ति का स्वामी बन गया। तप पूर्ण होने के बाद शम्बरासुर ने उसका विवाह अपनी पुत्री मोहिनी के साथ कर दिया। जब दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने मम के तप के बारे में सुना तो उन्होंने उसे दैत्यराज के पद पर विभूषित कर दिया। अपने बल के मद में आकर ममासुर ने देवताओं पर आक्रमण किया और उन्हें परास्त कर कारागार में डाल दिया। तब उसी कारावास में देवताओं ने गणेश की उपासना की जिससे प्रसन्न हो श्रीगणेश "विघ्नराज" (विघ्नेश्वर) के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने ममासुर को युद्ध के लिए ललकारा और उसे परास्त कर उसका मान मर्दन किया। अंततः ममासुर उनकी शरण में आ गया। तत्पश्चात उन्होंने देवताओं को मुक्त कर उनके विघ्न का नाश किया। 
  8. धूम्रवर्ण: एक बार भगवान सूर्यनारायण को छींक आ गई और उनकी छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई। उस दैत्य का नाम उन्होंने अहम रखा। उसने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली और अहंतासुर नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाद में उसने अपना स्वयं का राज्य बसाया और तप कर श्रीगणेश को प्रसन्न किया। उनसे उसे अनेकानेक वरदान प्राप्त हुए। वरदान प्राप्त कर वो निरंकुश हो गया और बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया। तब उसे रोकने के लिए श्री गणेश ने धुंए के रंग वाले रूप में अवतार लिया और उसी कारण उनका नाम "धूम्रवर्ण" पड़ा। उनके हाथ में एक दुर्जय पाश था जिससे सदैव ज्वालाएं निकलती रहती थीं। धूम्रवर्ण के रुप में गणेश जी ने अहंतासुर को उस पाश से जकड लिया। अहम् ने उस पाश से छूटने का बड़ा प्रयास किया किन्तु सफल नहीं हुआ। अंत में उसने अपनी पराजय स्वीकार कर ली और देव धूम्रवर्ण की शरण में आ गया। तब उन्होंने अहंतासुर को अपनी अनंत भक्ति प्रदान की।

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Shraddha Walkar Murder Case : आरोपी आफताब पूनावाला ने दिखाया,पुलिस का कहना है आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है By वनिता कासनियां पंजाबShraddha Walkar Murder Case : दिल्ली पुलिस गुरुवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट में लिव-इन पार्टनर और श्रद्धा वाकर के हत्यारे आफताब अमीन पूनावाला को पेश करेगी, जिस दौरान वह अदालत से उसकी रिमांड बढ़ाने का अनुरोध करेगी। आफताब से पूछताछ करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद उसने कोई पछतावा या पछतावा नहीं दिखाया है और वह आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है।श्रद्धा के शरीर के अंगों की तलाश जारी हैदिल्ली पुलिस, जिसने आफ़ताब ए पूनावाला के नार्को परीक्षण के लिए अदालत की अनुमति प्राप्त कर ली है, छतरपुर में वन क्षेत्र में अपने लिव-इन पार्टनर के शेष शरीर के अंगों की खोज जारी रखेगी। जांचकर्ताओं के मुताबिक नार्को टेस्ट जरूरी है क्योंकि पूनावाला अपने बयान बदल रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वॉकर का सिर, फोन और अपराध में इस्तेमाल हथियार अब तक बरामद नहीं हुआ है, ऐसा संदेह है कि पूनावाला ने कथित तौर पर उसे पहले भी मारने की कोशिश की थी और इसकी जांच की जा रही है। अब तक बरामद 13 शरीर के अंगों के डीएनए विश्लेषण के लिए वाकर के पिता के रक्त के नमूने भी एकत्र किए गए थे।पुलिस ने कहा कि दंपति के बीच वित्तीय मुद्दों पर अक्सर बहस होती थी और यह संदेह है कि उनके बीच लड़ाई भी हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप पूनावाला ने 18 मई की शाम को 27 वर्षीय श्रद्धा वाकर की हत्या कर दी थी। अट्ठाईस वर्षीय पूनावाला ने कथित तौर पर वॉकर का गला घोंट दिया और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए, जिसे उसने दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा और फिर आधी रात को शहर भर में फेंक दिया।तनावपूर्ण संबंध, बेवफाई और वित्तीय मुद्देजांच के दौरान, पूनावाला और वाकर के तनावपूर्ण संबंधों के बारे में अधिक जानकारी सामने आई, दोस्तों और परिवार ने आरोप लगाया कि महिला उससे नाखुश थी और वित्तीय मुद्दों और बेवफाई के संदेह पर अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस ने यह भी पाया कि 22 मई के बाद, 54,000 रुपये वाकर के बैंक खाते से पूनावाला को हस्तांतरित किए गए थे और जांचकर्ता दोनों के बीच सोशल मीडिया पर चैट भी स्कैन कर रहे हैं। वॉकर पूनावाला से मुंबई वाले घर से अपना सारा सामान लाने के लिए जोर दे रहे थे, लेकिन जाहिर तौर पर दंपति के पास मुंबई वापस जाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इससे उनके बीच और भी तनाव पैदा हो गया।सबूतों के अभाव में“पुलिस छतरपुर इलाके में एक सीसीटीवी कैमरे से कुछ फुटेज बरामद करने में कामयाब रही है। भले ही संदिग्ध की हरकत देखी गई है, लेकिन उसकी हरकतें स्पष्ट नहीं हैं। सीसीटीवी मैपिंग का इस्तेमाल दृश्यों को जोड़ने और पूनावाला द्वारा लिए गए मार्ग का पता लगाने के लिए किया जाएगा।” अधिकारी ने कहा। उन्होंने कहा कि मई से सभी सीसीटीवी फुटेज को ट्रेस करना और रिकवर करना मुश्किल होगा क्योंकि ज्यादातर सिस्टम में स्टोरेज क्षमता नहीं है। जहां तक ​​सबूतों का सवाल है, पुलिस ने कहा कि उन्होंने कुछ हड्डियां और एक बैग बरामद किया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह वाकर का है। बैग में कपड़े व अन्य सामान है।कि वह हत्या को कैसे अंजाम देता था। जांच दल का हिस्सा रहे एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पूनावाला को पीड़ित के शरीर के शेष कटे हुए टुकड़ों को खोजने के लिए लगातार दूसरे दिन महरौली वन क्षेत्र में ले जाया गया।नार्को परीक्षण में एक दवा (जैसे सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल) का अंतःशिरा प्रशासन शामिल होता है जो विषय को संज्ञाहरण के विभिन्न चरणों में प्रवेश करने का कारण बनता है। सम्मोहक चरण में, विषय कम बाधित हो जाता है और जानकारी प्रकट करने की अधिक संभावना होती है, जो आमतौर पर सचेत अवस्था में प्रकट नहीं होती। नियमों के मुताबिक नार्को टेस्ट कराने के लिए भी आरोपी की सहमति जरूरी है।“चूंकि, वह लगातार अपने बयान बदल रहा है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, उसके दावों को सत्यापित करने के लिए नार्को परीक्षण आवश्यक है। पीड़िता द्वारा इस्तेमाल किया गया फोन और उसके शरीर को काटने के लिए इस्तेमाल किया गया हथियार अभी तक बरामद नहीं किया गया है और आगे की जांच की जा रही है।” चल रहा है, ”अधिकारी ने कहा। अधिकारी ने कहा, “हमने कुछ संदिग्ध बैंक लेनदेन भी देखे हैं और विवरणों की पुष्टि कर रहे हैं।”जबरन धर्म परिवर्तनइस बीच, वाकर के करीबी रजत शुक्ला ने कहा कि यह संभव है कि पूनावाला उसे (उसका धर्म) बदलने के लिए मजबूर कर रहा हो। पूरा मामला…मामले की जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए। वह लोगों को गुमराह कर रहा था लेकिन हकीकत अब सामने आनी चाहिए।’ जिस व्यक्ति से वह प्यार करता है, उसके शरीर को टुकड़ों में काटकर, उसे फ्रिज में रखकर और जंगल में ठिकाने लगाने जैसा जघन्य अपराध नहीं कर सकता।शुक्ला ने यह भी कहा कि उन्हें पूनावाला के वाकर के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में होने के बारे में 2019 में पता चला। ” उसने जोड़ा।दूसरी ओर, एक सामाजिक कार्यकर्ता, जिसके साथ कॉल सेंटर के कर्मचारी वाकर ने मुंबई समुद्र तट सफाई अभियान में भाग लिया था, ने दावा किया है कि मृतक को पूनावाला पर धोखा देने का शक था और स्वच्छता अभियानों के दौरान वह शांत और अलग दिखाई देती थी।

Shraddha Walkar Murder Case : आरोपी आफताब पूनावाला ने दिखाया,पुलिस का कहना है आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है  By  वनिता कासनियां पंजाब Shraddha Walkar Murder Case :  दिल्ली पुलिस गुरुवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट में लिव-इन पार्टनर और श्रद्धा वाकर के हत्यारे आफताब अमीन पूनावाला को पेश करेगी, जिस दौरान वह अदालत से उसकी रिमांड बढ़ाने का अनुरोध करेगी। आफताब से पूछताछ करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद उसने कोई पछतावा या पछतावा नहीं दिखाया है और वह आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है। श्रद्धा के शरीर के अंगों की तलाश जारी है दिल्ली पुलिस, जिसने आफ़ताब ए पूनावाला के नार्को परीक्षण के लिए अदालत की अनुमति प्राप्त कर ली है, छतरपुर में वन क्षेत्र में अपने लिव-इन पार्टनर के शेष शरीर के अंगों की खोज जारी रखेगी। जांचकर्ताओं के मुताबिक नार्को टेस्ट जरूरी है क्योंकि पूनावाला अपने बयान बदल रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वॉकर का सिर, फोन और अपराध में इस्तेमाल हथियार अब तक बरामद नहीं हुआ है, ऐसा संदेह ह...

Ranbir Kapoor Alia Bhatt Baby: कपूर परिवार में गुंजी किलकारी, आलिया ने दिया बेटी को जन्म तस्वीरें हुईं वायरलबलुवाना न्यूज पंजाबRanbir Kapoor Alia Bhatt Baby: कपूर परिवार में हुआ बेटी का जन्म, रणबीर और आलिया बने माँ-बाप आलिया भट्ट को 6 नवंबर 2022, रविवार को डिलीवरी के लिए रणबीर कपूर अस्पताल लेकर पहुंचे थे. आलिया भट्ट ने अपने पहले बच्चे को जन्म दे दिया है. रणबीर कपूर और आलिया भट्ट एक बेटी के माता-पिता बन गए हैं. एक्ट्रेस की डिलवरी एच एन रिलायंस अस्पताल में हुई. आज सुबह से आलिया को अस्पताल ले जाने के बाद से परिवार और फैंस रणबीर आलिया के पहले बच्चे का काफी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. ऐसे में अब नन्ही सी परी के पैदा होते ही सोशल मीडिया पर बधाईयों का सिलसिला काफी तेज हो चुका है.राहु देगा फिल्‍म इंडस्‍ट्री में अपार शोहरत ज्‍योतिष के अनुसार दोपहर करीब 12 बजे जन्‍मी आलिया की बेटी की किस्‍मत के सितारे बुलंद रहेंगे. आलिया की बेटी का जन्‍म रेवती नक्षत्र में हुआ है और राहु कन्‍या नवांश में हैं, वहीं शुक्र अपनी ही राशि तुला में हैं. चूंकि ग्‍लैमर वर्ल्‍ड राहु से जुड़ा हुआ है. लिहाजा इस बात के पूरे चांसेज हैं कि आलिया भट्ट की बेटी अपने माता-पिता की तरह फिल्‍म इण्‍डस्‍ट्री में करियर बनाएंगी. इतना ही नहीं वे फिल्‍मों में जमकर नाम भी कमाएंगी. आलिया की बेटी अपनी मां की तरह बिजनेस वूमन भी बनेंगी. हालांकि उनमें पिता रणबीर की तरह इमोशनल और सेंसेटिव होने की क्‍वालिटी भी रहेगी. मांगलिक है आलिया की बेटी आलिया भट्ट की बेटी की कुंडली में धनु लग्‍न और मंगल सप्‍तम में होने के कारण मांगलिक योग भी बन रहा है. ऐसे में वह स्‍वभाव से क्रोधी भी हो सकती है और अपने तेज स्‍वभाव के कारण भी हमेशा न्‍यूज में रहेगी. इसके अलावा जन्‍म मूलांक 6 है, जिसके स्‍वामी शुक्र हैं, जो अपनी ही राशि तुला में मौजूद हैं. इसलिए आलिया की बेटी अपने लव अफेयर्स के कारण भी चर्चा में रहेगी. आलिया-रणबीर की किस्‍मत चमकाएगी बेटी आलिया और रणबीर की बेटी उन विशेष बच्‍चों में शुमार रहेगी जो अपने माता-पिता के लिए बहुत भाग्‍यशाली साबित होते हैं. ज्‍योतिषाचार्य के मुताबिक आलिया और रणबीर के करियर में 2029 से जबरदस्‍त उछाल आ सकता है, जिसके पीछे वजह उनकी बेटी रहेगी. Ranbir Kapoor Alia Bhatt Baby: अब हर किसी को इंतजार है को सिर्फ रणबीर आलिया की बच्ची की पहली तस्वीरों और नाम का. हाल ही में आलिया की गोद भराई की रस्में पूरी हुईं थीं, जिसकी खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं.डिलीवरी डेट को लेकर आ रही थी खबरें (The news was coming about the delivery date)Ranbir Kapoor Alia Bhatt Baby: पहले खबर थी की नवंबर के आखिरी सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह में मां बन सकती हैं. हालांकि,नई अपडेट के अनुसार आलिया भट्ट सुबह 7:30 बजे एच एन रिलायंस अस्पताल में अपनी डिलीवरी के लिए पहुंच थीं.Byवनिता कासनियां पंजाबशादी के सात महीने बाद दिया बेटी को जन्म (gave birth to a daughter after seven months of marriage)Ranbir Kapoor Alia Bhatt Baby: आलिया ने अपनी शादी के दो महीने बाद ही प्रेग्नेंसी की खबर दी थी. उन्होंने बाकायदा सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए फैंस से यह खुशखबरी साझा की थी. एक्ट्रेस ने सोनोग्राफी की फोटो शेयर की थी. वहीं 14 अप्रैल को हुई शादी के मजह सात महीने पूरे होने से पहले ही आलिया ने अपने पहले बच्चे को जन्म भी दे दिया है.

Ranbir Kapoor Alia Bhatt Baby: कपूर परिवार में गुंजी किलकारी, आलिया ने दिया बेटी को जन्म तस्वीरें हुईं वायरल बलुवाना न्यूज पंजाब Ranbir Kapoor Alia Bhatt Baby:  कपूर परिवार में हुआ बेटी का जन्म, रणबीर और आलिया बने माँ-बाप आलिया भट्ट को 6 नवंबर 2022, रविवार को डिलीवरी के लिए रणबीर कपूर अस्पताल लेकर पहुंचे थे. आलिया भट्ट ने अपने पहले बच्चे को जन्म दे दिया है. रणबीर कपूर और आलिया भट्ट एक बेटी के माता-पिता बन गए हैं. एक्ट्रेस की डिलवरी एच एन रिलायंस अस्पताल में हुई. आज सुबह से आलिया को अस्पताल ले जाने के बाद से परिवार और फैंस रणबीर आलिया के पहले बच्चे का काफी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. ऐसे में अब नन्ही सी परी के पैदा होते ही सोशल मीडिया पर बधाईयों का सिलसिला काफी तेज हो चुका है. राहु देगा फिल्‍म इंडस्‍ट्री में अपार शोहरत  ज्‍योतिष के अनुसार दोपहर करीब 12 बजे जन्‍मी आलिया की बेटी की किस्‍मत के सितारे बुलंद रहेंगे. आलिया की बेटी का जन्‍म रेवती नक्षत्र में हुआ है और राहु कन्‍या नवांश में हैं, वहीं शुक्र अपनी ही राशि तुला में हैं. चूंकि ग्‍लैमर वर्ल्‍ड राहु स...

जय गौ माताएक चलता फिरता मंदिर है गाय :By वनिता कासनियां पंजाब,गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिए हैं। गाय एक चलता फिरता मंदिर है। हमारे सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता है, हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जाकर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं। गर्व से कहो गाय हमारी माता है,और हम उसके अटूट सहारा हैं,हम उसके अटूट सहारा हैं ||वाह-री-वाह गईया देख तू अपना नसीब!तू है यहाँ लोगों के ह्रदय के कितने करीब!!जय गौ माता दाने चुन-चुन के चटोरे खा गए,तेरे हिस्से में हरे छिलके आ गए!!गौ-हत्या के गा के नग़मे यहाँ,कितने बे-नाम, नाम कमा गए!!दान-धर्म के नाम पे तुझे हतिया गए,ले जाके कट्टी-खानों में लटका गए!!देख कितने बेशर्म है तुझे पूजने वाले,तेरे नसीब का जो चारा भी पचा गए!!जय गौ माता बड़े बुज़ुर्ग पुरानी परम्परा निभा गए,गाय हमारी माँ है ये पाठ सिखा गए!!मगर इंसान की खाल में कुछ भेड़िये,माँस की वासना में गौ-माँस ही खा गए!!ग्वाला दूध दुह चुका थाऔर अब थन को,बूंद- बूंद निचोड़ रहा था.उधर खूंटे से बंधा बछड़ाभूख से बिलबिला रहा था.जय गौ माताBy वनिता कासनियां पंजाब🙏🙏🐃🐂🐄

जय गौ माता एक चलता फिरता मंदिर है गाय : By वनिता कासनियां पंजाब, गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिए हैं। गाय एक चलता फिरता मंदिर है। हमारे सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता है, हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जाकर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं।  गर्व से कहो गाय हमारी माता है, और हम उसके अटूट सहारा हैं, हम उसके अटूट सहारा हैं || वाह-री-वाह गईया देख तू अपना नसीब! तू है यहाँ लोगों के ह्रदय के कितने करीब!! जय गौ माता  दाने चुन-चुन के चटोरे खा गए, तेरे हिस्से में हरे छिलके आ गए!! गौ-हत्या के गा के नग़मे यहाँ, कितने बे-नाम, नाम कमा गए!! दान-धर्म के नाम पे तुझे हतिया गए, ले जाके कट्टी-खानों में लटका गए!! देख कितने बेशर्म है तुझे पूजने वाले, तेरे नसीब का जो चारा भी पचा गए!! जय गौ माता  बड़े बुज़ुर्ग पुरानी परम्परा निभा गए, गाय हमारी माँ है ये पाठ सिखा गए!! मगर इंसान की खाल में कुछ भेड़िये, माँस की वासना में गौ-माँस ही खा गए!! ग्वाला दूध दुह चुका था और अब थन को, बूंद- बूंद निचो...