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 नौ प्रकार की भक्ति केसे करें?हिन्दू धर्म में भक्ति को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है। भक्त की भक्ति के कारण तो भगवान भी दौड़े चले आते हैं। भक्ति की व्याख्या अलग-अलग ग्रंथों में अलग प्रकार से की गयी है। विभिन्न मत और समुदाय भक्ति को अपने तरीके से परिभाषित करते हैं किन्तु हमारे ग्रंथों में नौ प्रकार की भक्ति को बड़ा महत्त्व दिया गया है जिसे "नवधा भक्ति" कहा जाता है।नवधा भक्ति का उल्लेख हमारे ग्रंथों में २ बार किया गया है। इसका पहला वर्णन विष्णु पुराण में आता है जो सतयुग में भगवान के नरसिंह अवतार से सम्बंधित है। इसमें हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद का एक वार्तालाप है जिसमें प्रह्लाद ने अपने पिता को प्रभु की नौ प्रकार की भक्ति के विषय में बताया है। जिसके विधिवत पालन से भगवान का साक्षात्कार किया जा सकता है। प्रह्लाद कहते हैं -Byवनिता कासनियां पंजाबश्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥अर्थात: श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन ये नौ प्रकार की भक्ति कहलाती है।श्रवण: भगवान की कथा और महत्त्व को पूरी श्रद्धा से सुनना।कीर्तन: भगवान के अनंत गुणों का अपने मुख से उच्चारण करते हुए कीर्तन करना।स्मरण: सदैव प्रभु का स्मरण करना।पाद-सेवन: प्रभु के चरणों में स्वयं को अर्पण कर देना।अर्चन: शास्त्रों में वर्णित पवित्र सामग्री से प्रभु का पूजन करना।वंदन: आठ प्रहर ईश्वर की वंदना करना।दास्य: भगवान को स्वामी और स्वयं को उनका दास समझना।सख्य: ईश्वर को ही अपना सर्वोच्च और प्रिय मित्र समझना।आत्मनिवेदन: अपनी स्वतंत्रता त्याग कर स्वयं को पूरी तरह ईश्वर को समर्पित कर देना।इन नौ में भी प्रह्लाद ने श्रवण, कीर्तन और समरण को श्रेष्ठ बताया है और इन तीनों में भी श्रवण को उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कहा है।अलग-अलग युगों में नौ ऐसे व्यक्तित्व हुए हैं जो इन विभिन्न भक्ति की पराकाष्ठा के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। ये हैं:श्रवण: परीक्षितकीर्तन: शुकदेवस्मरण: प्रह्लादपाद सेवन: माता लक्ष्मीअर्चन: पृथुवंदन: अक्रूरदास्य: हनुमानसख्य: अर्जुनआत्मनिवेदन: दैत्यराज बलिआधुनिक युग में नवधा भक्ति को प्रसिद्ध करने का श्रेय गोस्वामी तुलसीदास को जाता है। उन्होंने श्री रामचरितमानस के अरण्य कांड में प्रभु श्रीराम द्वारा इस नवधा भक्ति का उल्लेख किया है। रामचरितमानस के अनुसार जब श्रीराम शबरी से मिलते हैं तो वो कहती हैं कि मैं नीच कुल में जन्म लेने वाली आपकी भक्ति की अधिकारिणी कैसे बन सकती हूँ।तब श्रीराम कहते हैं कि "हे भामिनि सुनो! मैं केवल एक ही भक्ति का सम्बन्ध मानता हूँ। जाति-पाति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, कुटुंब, गुण और चतुरता, इन नौ गुणों के होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य ऐसा लगता है जैसे जलहीन बादल। इसके बाद श्रीराम शबरी को नौ प्रकार की भक्ति के विषय में बताते हैं जो तुलसीदास जी ने छः दोहों में समाहित किया है।नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं॥प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥मैं तुझसे अब अपनी नवधा भक्ति कहता हूँ। तू सावधान होकर सुन और मन में धारण कर। पहली भक्ति है संतों का सत्संग। दूसरी भक्ति है मेरे कथा-प्रसंग में प्रेम।गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान॥तीसरी भक्ति है अभिमानरहित होकर गुरु के चरण कमलों की सेवा और चौथी भक्ति है कि कपट छोड़कर मेरे गुणसमूहों का गान करे।मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा॥छठ दम सील बिरति बहु करमा। निरत निरंतर सज्जन धरमा॥मेरे (राम) मन्त्र का जाप और मुझमें दृढ़ विश्वास - ये पांचवी भक्ति है, जो वेदों में प्रसिद्ध है। छठी भक्ति है इन्द्रियों का निग्रह, शील (अच्छा स्वभाव या चरित्र), बहुत कार्यों से वैराग्य और निरंतर संत पुरुषों के धर्म (आचरण) में लगे रहना।सातवँ सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा॥आठवँ जथालाभ संतोषा। सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा॥सातवीं भक्ति है जगत भर को समभाव से मुझमें ओतप्रोत (राममय) देखना और संतों को मुझसे भी अधिक करके मानना। आठवीं भक्ति है जो कुछ मिल जाये उसी में संतोष करना और स्वप्न में भी पराये दोषों को ना देखना।नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हियँ हरष न दीना॥नव महुँ एकउ जिन्ह कें होई। नारि पुरुष सचराचर कोई॥नवीं भक्ति है सरलता और सबके साथ कपट रहित बर्ताव करना, ह्रदय में मेरा भरोसा रखना और किसी भी अवस्था में हर्ष और दैन्य (विषाद) का ना होना। इन नवों में से जिनके एक भी होती है, वह स्त्री-पुरुष, जड़-चेतन कोई भी हो -सोइ अतिसय प्रिय भामिनि मोरें। सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरें॥जोगि बृंद दुरलभ गति जोई। तो कहुँ आजु सुलभ भइ सोई॥भामिनि! मुझे वही अत्यंत प्रिय है। फिर तुझमें तो सभी प्रकार की भक्ति दृढ है। अतएव जो गति योगियों को भी दुर्लभ है, वही आज तेरे लिए सुलभ हो गयी है।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमजय श्रीराम। 

 नौ प्रकार की भक्ति केसे करें?


हिन्दू धर्म में भक्ति को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है। भक्त की भक्ति के कारण तो भगवान भी दौड़े चले आते हैं। भक्ति की व्याख्या अलग-अलग ग्रंथों में अलग प्रकार से की गयी है। विभिन्न मत और समुदाय भक्ति को अपने तरीके से परिभाषित करते हैं किन्तु हमारे ग्रंथों में नौ प्रकार की भक्ति को बड़ा महत्त्व दिया गया है जिसे "नवधा भक्ति" कहा जाता है।

नवधा भक्ति का उल्लेख हमारे ग्रंथों में २ बार किया गया है। इसका पहला वर्णन विष्णु पुराण में आता है जो सतयुग में भगवान के नरसिंह अवतार से सम्बंधित है। इसमें हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद का एक वार्तालाप है जिसमें प्रह्लाद ने अपने पिता को प्रभु की नौ प्रकार की भक्ति के विषय में बताया है। जिसके विधिवत पालन से भगवान का साक्षात्कार किया जा सकता है। प्रह्लाद कहते हैं -

Byवनिता कासनियां पंजाब

श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥

अर्थात: श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन ये नौ प्रकार की भक्ति कहलाती है।
श्रवण: भगवान की कथा और महत्त्व को पूरी श्रद्धा से सुनना।
कीर्तन: भगवान के अनंत गुणों का अपने मुख से 
उच्चारण करते हुए कीर्तन करना।
स्मरण: सदैव प्रभु का स्मरण करना।
पाद-सेवन: प्रभु के चरणों में स्वयं को अर्पण कर देना।
अर्चन: शास्त्रों में वर्णित पवित्र सामग्री से प्रभु का पूजन करना।
वंदन: आठ प्रहर ईश्वर की वंदना करना।
दास्य: भगवान को स्वामी और स्वयं को उनका दास समझना।
सख्य: ईश्वर को ही अपना सर्वोच्च और प्रिय मित्र समझना।
आत्मनिवेदन: अपनी स्वतंत्रता त्याग कर स्वयं को पूरी तरह ईश्वर को समर्पित कर देना।
इन नौ में भी प्रह्लाद ने श्रवण, कीर्तन और समरण को श्रेष्ठ बताया है और इन तीनों में भी श्रवण को उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कहा है।
अलग-अलग युगों में नौ ऐसे व्यक्तित्व हुए हैं जो इन विभिन्न भक्ति की पराकाष्ठा के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। ये हैं:
श्रवण: परीक्षित
कीर्तन: शुकदेव
स्मरण: प्रह्लाद
पाद सेवन: माता लक्ष्मी
अर्चन: पृथु
वंदन: अक्रूर
दास्य: हनुमान
सख्य: अर्जुन
आत्मनिवेदन: दैत्यराज बलि
आधुनिक युग में नवधा भक्ति को प्रसिद्ध करने का श्रेय गोस्वामी तुलसीदास को जाता है। उन्होंने श्री रामचरितमानस के अरण्य कांड में प्रभु श्रीराम द्वारा इस नवधा भक्ति का उल्लेख किया है। रामचरितमानस के अनुसार जब श्रीराम शबरी से मिलते हैं तो वो कहती हैं कि मैं नीच कुल में जन्म लेने वाली आपकी भक्ति की अधिकारिणी कैसे बन सकती हूँ।

तब श्रीराम कहते हैं कि "हे भामिनि सुनो! मैं केवल एक ही भक्ति का सम्बन्ध मानता हूँ। जाति-पाति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, कुटुंब, गुण और चतुरता, इन नौ गुणों के होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य ऐसा लगता है जैसे जलहीन बादल। इसके बाद श्रीराम शबरी को नौ प्रकार की भक्ति के विषय में बताते हैं जो तुलसीदास जी ने छः दोहों में समाहित किया है।

नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं॥
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥

मैं तुझसे अब अपनी नवधा भक्ति कहता हूँ। तू सावधान होकर सुन और मन में धारण कर। पहली भक्ति है संतों का सत्संग। दूसरी भक्ति है मेरे कथा-प्रसंग में प्रेम।

गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।
चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान॥

तीसरी भक्ति है अभिमानरहित होकर गुरु के चरण कमलों की सेवा और चौथी भक्ति है कि कपट छोड़कर मेरे गुणसमूहों का गान करे।

मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा॥
छठ दम सील बिरति बहु करमा। निरत निरंतर सज्जन धरमा॥

मेरे (राम) मन्त्र का जाप और मुझमें दृढ़ विश्वास - ये पांचवी भक्ति है, जो वेदों में प्रसिद्ध है। छठी भक्ति है इन्द्रियों का निग्रह, शील (अच्छा स्वभाव या चरित्र), बहुत कार्यों से वैराग्य और निरंतर संत पुरुषों के धर्म (आचरण) में लगे रहना।

सातवँ सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा॥
आठवँ जथालाभ संतोषा। सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा॥

सातवीं भक्ति है जगत भर को समभाव से मुझमें ओतप्रोत (राममय) देखना और संतों को मुझसे भी अधिक करके मानना। आठवीं भक्ति है जो कुछ मिल जाये उसी में संतोष करना और स्वप्न में भी पराये दोषों को ना देखना।

नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हियँ हरष न दीना॥
नव महुँ एकउ जिन्ह कें होई। नारि पुरुष सचराचर कोई॥

नवीं भक्ति है सरलता और सबके साथ कपट रहित बर्ताव करना, ह्रदय में मेरा भरोसा रखना और किसी भी अवस्था में हर्ष और दैन्य (विषाद) का ना होना। इन नवों में से जिनके एक भी होती है, वह स्त्री-पुरुष, जड़-चेतन कोई भी हो -

सोइ अतिसय प्रिय भामिनि मोरें। सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरें॥
जोगि बृंद दुरलभ गति जोई। तो कहुँ आजु सुलभ भइ सोई॥

भामिनि! मुझे वही अत्यंत प्रिय है। फिर तुझमें तो सभी प्रकार की भक्ति दृढ है। अतएव जो गति योगियों को भी दुर्लभ है, वही आज तेरे लिए सुलभ हो गयी है।
बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

जय श्रीराम। 


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Shraddha Walkar Murder Case : आरोपी आफताब पूनावाला ने दिखाया,पुलिस का कहना है आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है By वनिता कासनियां पंजाबShraddha Walkar Murder Case : दिल्ली पुलिस गुरुवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट में लिव-इन पार्टनर और श्रद्धा वाकर के हत्यारे आफताब अमीन पूनावाला को पेश करेगी, जिस दौरान वह अदालत से उसकी रिमांड बढ़ाने का अनुरोध करेगी। आफताब से पूछताछ करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद उसने कोई पछतावा या पछतावा नहीं दिखाया है और वह आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है।श्रद्धा के शरीर के अंगों की तलाश जारी हैदिल्ली पुलिस, जिसने आफ़ताब ए पूनावाला के नार्को परीक्षण के लिए अदालत की अनुमति प्राप्त कर ली है, छतरपुर में वन क्षेत्र में अपने लिव-इन पार्टनर के शेष शरीर के अंगों की खोज जारी रखेगी। जांचकर्ताओं के मुताबिक नार्को टेस्ट जरूरी है क्योंकि पूनावाला अपने बयान बदल रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वॉकर का सिर, फोन और अपराध में इस्तेमाल हथियार अब तक बरामद नहीं हुआ है, ऐसा संदेह है कि पूनावाला ने कथित तौर पर उसे पहले भी मारने की कोशिश की थी और इसकी जांच की जा रही है। अब तक बरामद 13 शरीर के अंगों के डीएनए विश्लेषण के लिए वाकर के पिता के रक्त के नमूने भी एकत्र किए गए थे।पुलिस ने कहा कि दंपति के बीच वित्तीय मुद्दों पर अक्सर बहस होती थी और यह संदेह है कि उनके बीच लड़ाई भी हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप पूनावाला ने 18 मई की शाम को 27 वर्षीय श्रद्धा वाकर की हत्या कर दी थी। अट्ठाईस वर्षीय पूनावाला ने कथित तौर पर वॉकर का गला घोंट दिया और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए, जिसे उसने दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा और फिर आधी रात को शहर भर में फेंक दिया।तनावपूर्ण संबंध, बेवफाई और वित्तीय मुद्देजांच के दौरान, पूनावाला और वाकर के तनावपूर्ण संबंधों के बारे में अधिक जानकारी सामने आई, दोस्तों और परिवार ने आरोप लगाया कि महिला उससे नाखुश थी और वित्तीय मुद्दों और बेवफाई के संदेह पर अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस ने यह भी पाया कि 22 मई के बाद, 54,000 रुपये वाकर के बैंक खाते से पूनावाला को हस्तांतरित किए गए थे और जांचकर्ता दोनों के बीच सोशल मीडिया पर चैट भी स्कैन कर रहे हैं। वॉकर पूनावाला से मुंबई वाले घर से अपना सारा सामान लाने के लिए जोर दे रहे थे, लेकिन जाहिर तौर पर दंपति के पास मुंबई वापस जाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इससे उनके बीच और भी तनाव पैदा हो गया।सबूतों के अभाव में“पुलिस छतरपुर इलाके में एक सीसीटीवी कैमरे से कुछ फुटेज बरामद करने में कामयाब रही है। भले ही संदिग्ध की हरकत देखी गई है, लेकिन उसकी हरकतें स्पष्ट नहीं हैं। सीसीटीवी मैपिंग का इस्तेमाल दृश्यों को जोड़ने और पूनावाला द्वारा लिए गए मार्ग का पता लगाने के लिए किया जाएगा।” अधिकारी ने कहा। उन्होंने कहा कि मई से सभी सीसीटीवी फुटेज को ट्रेस करना और रिकवर करना मुश्किल होगा क्योंकि ज्यादातर सिस्टम में स्टोरेज क्षमता नहीं है। जहां तक ​​सबूतों का सवाल है, पुलिस ने कहा कि उन्होंने कुछ हड्डियां और एक बैग बरामद किया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह वाकर का है। बैग में कपड़े व अन्य सामान है।कि वह हत्या को कैसे अंजाम देता था। जांच दल का हिस्सा रहे एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पूनावाला को पीड़ित के शरीर के शेष कटे हुए टुकड़ों को खोजने के लिए लगातार दूसरे दिन महरौली वन क्षेत्र में ले जाया गया।नार्को परीक्षण में एक दवा (जैसे सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल) का अंतःशिरा प्रशासन शामिल होता है जो विषय को संज्ञाहरण के विभिन्न चरणों में प्रवेश करने का कारण बनता है। सम्मोहक चरण में, विषय कम बाधित हो जाता है और जानकारी प्रकट करने की अधिक संभावना होती है, जो आमतौर पर सचेत अवस्था में प्रकट नहीं होती। नियमों के मुताबिक नार्को टेस्ट कराने के लिए भी आरोपी की सहमति जरूरी है।“चूंकि, वह लगातार अपने बयान बदल रहा है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, उसके दावों को सत्यापित करने के लिए नार्को परीक्षण आवश्यक है। पीड़िता द्वारा इस्तेमाल किया गया फोन और उसके शरीर को काटने के लिए इस्तेमाल किया गया हथियार अभी तक बरामद नहीं किया गया है और आगे की जांच की जा रही है।” चल रहा है, ”अधिकारी ने कहा। अधिकारी ने कहा, “हमने कुछ संदिग्ध बैंक लेनदेन भी देखे हैं और विवरणों की पुष्टि कर रहे हैं।”जबरन धर्म परिवर्तनइस बीच, वाकर के करीबी रजत शुक्ला ने कहा कि यह संभव है कि पूनावाला उसे (उसका धर्म) बदलने के लिए मजबूर कर रहा हो। पूरा मामला…मामले की जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए। वह लोगों को गुमराह कर रहा था लेकिन हकीकत अब सामने आनी चाहिए।’ जिस व्यक्ति से वह प्यार करता है, उसके शरीर को टुकड़ों में काटकर, उसे फ्रिज में रखकर और जंगल में ठिकाने लगाने जैसा जघन्य अपराध नहीं कर सकता।शुक्ला ने यह भी कहा कि उन्हें पूनावाला के वाकर के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में होने के बारे में 2019 में पता चला। ” उसने जोड़ा।दूसरी ओर, एक सामाजिक कार्यकर्ता, जिसके साथ कॉल सेंटर के कर्मचारी वाकर ने मुंबई समुद्र तट सफाई अभियान में भाग लिया था, ने दावा किया है कि मृतक को पूनावाला पर धोखा देने का शक था और स्वच्छता अभियानों के दौरान वह शांत और अलग दिखाई देती थी।

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